देवउठनी ग्यारस क्यों मनाई जाती है – Dev Uthani Ekadashi Kyu Manate Hai

देवउठनी ग्यारस क्यों मनाई जाती है: हमारे हिन्दू धर्म में बहुत सारे त्यौंहारों को बडे धूम-धाम से मनाया जाता हैं और लगभग प्रत्येक महिने में हिन्दुओं के कोई ना कोई त्यौंहर होते हैं। इनमें से हिन्दु धर्म के सबसे बड़े त्यौंहार दीवाली और होली को माना जाता हैं वैसे तो हर एक त्यौंहार की अपनी एक कहानी हैं लेकिन आज हम जानेगें कि दीपावली के बाद मनाये जाने वाले त्यौंहार देवउठनी ग्यारस के बारे में और जानेगें कि देवउठनी ग्यारस क्यों मनाई जाती हैं, हिन्दु धर्म में इसे पावन क्यों माना गया हैं।

देवउठनी ग्यारस क्यों मनाई जाती है - Dev Uthani Ekadashi Kyu Manate Hai
देवउठनी ग्यारस क्यों मनाई जाती है – Dev Uthani Ekadashi Kyu Manate Hai

देवउठनी ग्यारस के दिन दो अलग-अलग मान्यता हैं एक तो देवउठनी ग्यारस के दिन देवों को जगाया जाता हैं वहीं दूसरा इस दिन तुलसी विवाह भी किया जाता हैं।

देवउठनी ग्यारस क्यों मनाई जाती है

देवउठनी ग्यारस के दिन देवों को जगाया जाता हैं, मान्यता हैं कि शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन से ही देवता शयन के लिए चले जाते हैं और फिर देवउठनी ग्यारस के दिन देवाें को जगाया जाता हैं। जब तक देव सोये हुये रहते हैं तब तक शादी ब्याह जैसे शुभ कार्य भी नहीं किये जाते हैं और फिर जब देवउठनी ग्यारस के दिन देवों को जगा दिया जाता हैं तो उसके बाद से शादी ब्याह होने लग जाते हैं।

मान्यता हैं कि इस दिन भगवान विष्णु को निद्रा से जगाया जाता हैं क्योंकि जब तक जगत के पालकर्त्ता, त्रिलोकी नाथ, परमात्मा भगवान विष्णु सोये हुये रहते हैं तब तक किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं किये जाते हैं। भगवान को जगाने के लिए हम लोग थाली या फिर सूप बजाकर और महिलाऐं गीत गाकर भी देवों को जगाती हैं।

इस दिन भगवान विष्णु के स्वरूप शालीग्राम का विवाह तुलसी के साथ किया जाता हैं इसलिए भी देवउठनी ग्यारस मनाई जाती हैं।

देवउठनी ग्यारस कैसे मनाई जाती हैं?

हमारे हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार हम लोग अपने घरों में कली, चॉक या फिर गेरू से अपने घरों के बरामदे में रंगाेली बनाते हैं और घरों की दीवारों को भी सजाया जाता हैं वहीं जहां पर पूजा की जाती हैं वहां पर ढकोला रखकर उसके नीचे भी रंगोली बनाई जाती हैं। फिर मौहल्ले की सभी महिलाऐं और बच्चें वहां इक्कठे होते हैं और महिलाऐं गीत गाती हैं-

इस दिन गाजर, सिंघाडे, बेर, सेंगरी, बैंगन ओर गन्ने महिलाऐं अपने घरों से लाकर पूजा करती हैं और फिर गन्नों से उस ढकोले को पीटकर देवाें को जगाया जाता हैं। इस दिन महिलाऐं व्रत भी करती हैं और इस बच्चें भी खूब मजे करते हैं। इस दिन भी महिलाऐं अपने घरों में और पूजा स्थल दीपावली की तरह ही दीऐं भी जलाती हैं।

देवउठनी ग्यारस कब हैं?

हर साल दीपावली के दिन के 11 दिनों के बाद देवउठनी ग्यारस का पर्व मनाया जाता हैं। इस बार साल 2023 में देवउठनी ग्यारस 23 नवम्बर 2023 को मनाई जायेगी। इस पर्व को मनाने से घर में सुख शांति ओर खुशहाली आती हैं।

देवउठनी ग्यारस तिथि – 23 November 2023.

तुलसी और भगवान शालीग्राम का विवाह

देवउठनी ग्यारस क्यों मनाई जाती है: देवउठनी ग्यारस के दिन मान्यता हैं कि इस दिन तुलसी और भगवान शालीग्राम भी किया जाता हैं। पुराणों के अनुसार, वृंदा यानि तुलसी जालंधर नाम के असुर की पत्नी थी। तुलसी के सतीत्व के कारण देवला जालंधर को नहीं मार पा रहे थे, तो भगवान विष्णु ने एक तरकीब सोची और भगवान जालंधर का रूप बनाकर तुलसी के पास गये और उसका सतीत्व भंग कर दिया फिर भगवान शिव ने जालंधर को मार दिया। लेकिन जब यह सारी बात तुलसी को पता चली तो उसने भगवान विष्णु को पत्थर बन जाने का श्राप दिया और खुद सती हो गई।

जहां तुलसी सती हुई उस जगह तुलसी का पौधा अपने आप उग गया था जिसे भगवान विष्णु जी ने तुलसी नाम दिया और बोले कि शालीग्राम नाम से मेरा एक रूप इस पत्थर में हमेशा रहेगा। यही कारण हैं कि हर साल देवउठनी ग्यारस के दिन भगवान विष्णु की स्वरूप शालीग्राम और तुलसी माता का विवाह कराया जाता हैं।

Yakuza Karishma Car: मोटर साइकिल से भी सस्ती हैं ये कार, अब गरीब भी करेगा कार का सपना पूरा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *